Thursday, November 6, 2025

ज़ख्मों की दास्ताँ -


 न कागज़ चाहिए, न चाहिए कलम,

दिल ही काफी है लिखने को ग़म


हर एक जख्म में दास्ताँ लिखी है,

तुम जो पढ़ लो तो हो जाए कम


शीशे का दिल मेरा बिखर जायेगा

तोड दो, ताकि अब टूट जाये भरम


जमाने ने बना दिया है पत्थर सा -

नजर भर के देख लो हो जाऊँ नरम


रास्तों ने गलत पता बताया तुम्हारा

सर्द हवाये भी अब ढा रही हैं सितम


‘तुम’ बिन मुकम्मल करे ये कहानी

वर्मा’ किधर से ला पायेगा वो दम


Monday, November 3, 2025

अनछुआ स्पर्श -----

जानना है मुझे - बर्फ या अंगारा हो

मेरे लिए तुम मुकम्मल सहारा हो


टिकते क्यूँ नहीं एक दर पर तुम

यकीनन - तुम तो कोई सैय्यारा हो


बहुत सूकुन है तुम्हारी सोहबत में

शायद तुम दरिया का किनारा हो


बेचैन 'नैन' तुम्हारे कर रहे चुगली

संदेशों के शायद तुम हरकारा हो


बेसब्र मन तो मानता ही नहीं है

'अनछुआ स्पर्श' शायद दुबारा हो


"वर्मा" ये इश्क़ अब तर्क कैसे करे,

दर्द देने वाला जब इतना प्यारा हो


Thursday, October 23, 2025

धर्म खतरे में है

 







वह व्यस्त था 

अपने कारोबार में

वह खुश था 

अपने परिवार में

वह रात को देर से सोया था

सुमधुर सपने में खोया था

अचानक वह झिझोड़कर उठाया गया

और उसे बताया गया 

‘‘सोओ मत’’  

‘‘अगले चौराहे पर तुम्हारा धर्म खतरे में है’’

‘‘तुम चलो हम आते हैं’’

"औरों को भी जगाते हैं"

आँख मलते हुए वह जागा

असलहे इकट्ठा किया

धर्म पताका हाथ में लिया

और चौराहे की ओर भागा

उसने बहुत ढ़ूढा 

अपने उस धर्म को जो खतरे में था

पर नहीं मिला

दूसरे धर्म के लोग भी वहाँ आए हुए थे

वे भी इसी तरह 

झिझोड़े और जगाए हुए थे

वह अपनी धर्म पताका लहराते हुए 

उनसे ही भिड़ गया

देखते देखते वहाँ

भीषण जंग छिड़ गया

वह गिरता रहा-पड़ता रहा

पर बेखौफ लड़ता रहा।

नेपथ्य से आवाजें आ रही थी -

लड़ो हम आ रहे हैं।

उसने हौसला नहीं खोया

और जोश से भर गया

बुलंद आवाज में लगाया नारा

कई लोगों को खंजर मारा

कई लोगों को मौत के घाट उतारा

इन सबके दौरान

एक खंजर उसके अन्दर भी गया

और लड़ते-लड़ते 

अन्ततोगत्वा वह भी मर गया

तदुपरान्त सरकार द्वारा प्रायोजित

आंसू बहाने वाले बुलाए गए

और जमकर टी वी शो में

आंकड़ों के तीर चलाए गए


यकीन मानिए

जब ये सब रक्तरंजित हो रहे थे

इन सबके धर्म

अपने नीड़ में सुरक्षित सो रहे थे


चित्र : गूगल 


Thursday, October 16, 2025

‘टारगेट’ पर तेरा सर (गजल)

 


दवा की जगह वे जहर रखेंगे

हालात पे फिर वे नजर रखेंगे

 

यूँ तो हौसला देंगे दौड़ने का

मगर रास्ते में वे पत्थर रखेंगे

 

खबरों के लिए ही संग चलेंगे

नजरों में पर वे नश्तर रखेंगे

 

बाखबर रहना झोपड़ी में अपने

पटरियों पर तुम्हारा घर रखेंगे

 

नया शौक है निशानेबाजी का

टारगेटपर वे तेरा सर रखेंगे


'वर्मा' कत्ल करके तेरा, तुम्हे ही

कातिल ठहराने का असर रखेंगे 


Wednesday, August 7, 2019

सूरज से टकराया



आतुर सुलझाने को
उलझा धागा
वह जागा
उठकर भागा,
सूरज से टकराया
चकराया, गश खाया
जीवन को दे डाला
जीवन का वास्ता
रास्ते पर वह
या उसके अंदर रास्ता?
दो पल के सुकून के लाले
खोले उसने सात ताले,
तिलिस्मी मंजर
मकडी के जाले,
गुंजायमान अट्टहास
कृत्रिम अनुबंध,
रिश्तो की अस्थिया
लोहबानी गंध,
खुद ही से मिलने पर
सख्त प्रतिबंध

सुलझाया कम
ज्यादा उलझाया
सांझ ढले
लहुलुहान वह
फिर वही लौट आया.


चित्र साभार : Google

Tuesday, June 11, 2019

अपराधो पर अंकुश का 'रामबाण'


नवगठित सरकार आरम्भ से ही सक्रिय हो गयी. जनता की परेशानियो को समझने के लिये समितिया गठित की गयी. सभी समितियो ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की. सभी समितियो की रिपोर्ट में एक बात उभरकर सामने आयी कि जनता की परेशानी का प्रमुख कारण बढता हुआ अपराध है.
सरकार ने मंत्रिमंडल को अपराध के प्रति चिंतित होने का निर्देश दिया. एक हफ्ते की चिंता प्रक्रिया पूरी की गयी. तत्पश्चात एक उच्च स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया. इस बैठक में बढते अपराध के प्रति आक्रोश प्रस्ताव पास करने के उपरांत अपराध कम करने के लिये भी चिंतन मनन किया गया. अंततोगत्वा बैठक में अपराध पर अंकुश लगाने का रामबाण ढूढ ही लिया गया. जो प्रस्ताव पास हुआ वह निम्नवत है :
१- छिनैती एवम लूट आर्थिक कारणो से होते हैं और पूंजी को चलायमान रखते है,  इसलिये इसे व्यापार की श्रेणी में शामिल कर लिया जाये.
२- CCTV कैमरे क्योंकि अपराधो के सबसे बडे प्रमाण होते हैं और आंकडो के सम्वर्धन में सहायक होते है, इसलिये तमाम चौराहो से इन्हे हटा लिया जाये.
३- अदालतो में अपराधो के लम्बित समस्त केस जब तक निपट न जाये नये केस दर्ज ही न किये जाये.
४- डिफाल्टर लोन के कारण बैंको को हुए घाटे को टैक्स बढाकर पूरा किया जाये.
५- समस्त मीडिया कर्मियो को अगले चुनाव में पार्टी टिकट देने का वायदा किया जाये.

अन्य अपराधो को भी कम करने के लिये तमाम मंत्रिमंडल सदस्यो से सुझाव मांगे गये है. जिनपर चर्चा अगली बैठक में होना तय हुआ.

Thursday, May 30, 2019

मूर्खता : एक सात्विक गुण

मूर्खता एक सात्विक गुण है, जिसे धारण करने से अपमान की सम्भावना कम हो जाती है. याद रखें अपमानित सदा विद्वत्ता का दुर्गुण धारण करने वाले ही होते हैं. यह अनुवांशिक भी हो सकती है और अर्जित भी. मेरा यह आलेख अनुवांशिक रूप से मूर्खता धारण करने वालों के लिये नहीं है वरन उनके लिये है जो अर्जित मूर्खता के अभिलाषी हैं.
विकीपीडिया भी असमर्थ है इसे परिभाषित करने में :
This article does not cite any references or sources.
इसकी परिभाषा मिले न मिले इससे हर कोई परिचित जरूर होगा. इसे धारण करने से आप कई समस्याओं से निजात पा सकते है या लाभान्वित हो सकते है :
1. आपने अक्सर सुना ही होगा अरे ! वह तो मूर्ख है उसकी बात का क्या बुरा मानना.जिसके  कारण कोई आपकी बात का बुरा न माने   तो वह गुण अर्जित करने में क्या बुराई हो सकती है?
2. विद्वानों के मुख से विद्वत्ता की बातें आम बात है, पर मूर्खता गुण धारण करने वाला अगर भूल से   विद्वत्ता की बात कर दे तो बल्ले-बल्ले.
3. कठिन कार्यों से निजात मिल जाती हैक्योंकि मूर्खों से कोई कार्य नहीं करवाना चाहता है.
4. दो मूर्ख (सात्विक) जब मिलते है तो मूर्खता की एक नई किस्म तैयार होती है.
5. दिमागी तनाव अधिकांश बीमारियों का कारक है, मूर्खता गुण धारण करने वाले दिमागी तनाव की   स्थिति में नहीं आते इसलिये तमाम बीमारियों से बचे रहते हैं.

   इसके अलावा और भी अनेक गुण हैं जो स्वत: ही इस गुण को धारण करने के पश्चात उजागर हो  जायेगी. यदि मैं इसके गुण गिनाता रहा तो इसे अर्जित करने का उपाय रह जायेगा. इस अर्जित    करना  उतना कठिन नहीं है जितना इसे लम्बे समय तक धारण करना. एक नितांत निरीह प्राणी  जिसे  सभ्य संसार गधा कहता है; हमारा प्रेरणा स्रोत हो सकता है. फिर भी कुछ उपाय निम्नवत   हैं
  1. प्रथमत:, अपने स्वरूप को थोड़ा सुधार करके हम इस गुण को प्रदर्शित कर सकते हैं. एक सर्वेक्षण कहता है : 75 प्रतिशत पुरूष, महिलाओं के सौन्दर्य को प्रधानता देते हैं जबकि 75 प्रतिशत महिलायें पुरूष सौन्दर्य का आकलन उसके बाह्य स्वरूप से नहीं बल्कि, आंतरिक विवेक, बुद्धि और मानसिक स्थिति से करती हैं. अत: स्वरूप निर्धारण भी महत्वपूर्ण पहलू है.
  2. जब कभी विद्वत्ता की बातें हों तो शरीक अवश्य हों पर ऐसा प्रदर्शित करें कि कुछ समझ में आया ही नहीं और सही व्यक्तव्य जानते हुए भी अनर्गल व्यक्तव्य जारी करें.
  3. पानी से आधा भरा गिलास आपको आधा भरा नज़र नहीं आना चाहिये वरन वह आधा खाली नज़र आना चाहिये.



  1. याद रखें गंजापन नहीं नज़र आना चाहिये, क्योकि गंजापन बुद्धिमानी का लक्षण माना जाता है. इसके लिये या तो विशेष प्रकार का टोपी पहनना चाहिये या बाल ट्रांसप्लांट करवा लेना चाहिये.
  2. दिन में कई बार नीचे के चित्र जैसा मुँह गोल कर लेना चाहिये और ’आल ईज़ भेल’ गुनगुनाना चाहिये. यह आपके प्रति लोगों की धारणा बदलने में सहायक होगा


कहने को और भी बहुत कुछ था पर क्या करूँ इस चक्कर में कहीं मैं मूर्खता से वंचित करार न दे दिया जाऊँ.
वैधानिक चेतावनी : अतिशय मूर्खता प्रदर्शन आपको नैसर्गिक मूर्ख बना सकता है 

Monday, May 27, 2019

तुम्हारी आशिकी शक के दायरे में है …


पीये और पिलाए नहीं तो क्या किया?
पीकर भी जो लड़खडाए नहीं, तो क्या किया?
.
तुम्हारी आशिकी शक के दायरे में है
नाज़नीन से पिटकर आये नहीं, तो क्या किया?
.
शादीशुदा के लिए तो तोहफा है बेलन
बीबी से आजतक खाए नहीं, तो क्या किया?
.
सियासत का दंभ भरते हो, कच्चे हो पर
घोटालों के लिस्ट में आये नहीं, तो क्या किया?
.
माना उठ गयी थी महफ़िल जहां गए थे
और किसी बारात में खाए नहीं, तो क्या किया?
.
कोई और क्यों न उठा लेगा अमानत
बुलाने पर भी तुम आये नहीं, तो क्या किया?
.
माशूका मिली किसी और के पहलू में
फिर भी तुम तिलमिलाए नहीं, तो क्या किया?
.
माना कि तुमने स्वर साधना नहीं किया
बाथरूम में भी जो गाये नहीं, तो क्या किया?
.
नफ़रत है तुम्हें नहाने से जगजाहिर है
शादी के दिन भी नहाये नहीं, तो क्या किया?

Monday, May 20, 2019

मासूम के पर कुतरे होंगे ---

कितनी जद्दोजहद से वे गुजरे होंगे
तब कहीं गहरी झील में उतरे होंगे

उड़ान भरने से कतरा रहा है परिंदा
बेरहम ने मासूम के पर कुतरे होंगे

दर्द छुपा लेते है लोग आसानी से
नीद मे मगर जरूर ये कहरे होंगे

जज्बात हों नहीं, ये हो नही सकता
जज्बात किसी मोड़ पर ठहरे हो़गे

मासूमों की चीखें सुनते ही नहीं हैं
एहसासों से ये लोग तो बहरे होंगे 

कौन झकझोर गया इन शाखों को
फूल ये बेवजह तो नहीं झरे होंगे

हर शख्स का अपना अक्स होता है
चेहरे दर चेहरे बेशक सौ चेहरे होंगे

Monday, May 13, 2019

लुटा हुआ ये शहर है

ख़बर ये है कि 
ख़बरों में वो ही नहीं
जिनकी ये ख़बर है
.
डर से ये 
कहीं मर न जाएं
बस यही डर है
.
लूटेरे भी 
लूटेंगे किसको?
लुटा हुआ ये शहर है
.
दवा भला 
असर करे कैसे?
शीशियों में तो ज़हर है
.
मंजिल तो
इस रास्ते पर है ही नहीं
अँधा ये सफर है
.
खौफजदा,
गुमनाम सा, दुबका हुआ
ये शेरे-बबर है
.
नाम तो है
पर बताये कैसे?
खौफ का इतना असर है
.
मुआवजा तो खूब मिला
पर उनको नहीं
जिनके उजड़े घर हैं

Sunday, May 5, 2019

स्तुत्य हौसला

जमीन से कुछ उठाकर  
यह परिंदा 
पंख फैलाकर उड़ रहा है
सच तो यह है कि
इस तरह वह
अपने जमीन से जुड़ रहा है
जो ज़मीन से जुड़ता नहीं है
वह ऊँचाई पर उड़ता नहीं है
स्तुत्य है इसका श्रम
परखना हो तो परखो
इसका हौसला
तिनका-तिनका जोडकर
बना रक्खा है इसने
खूबसूरत एक घोसला
जहाँ इसके बच्चे
चीत्कार कर रहे हैं
और बेसब्री से इसका
इन्तेजार कर रहे हैं
देखो,
अब यह अपने घोसले की ओर
मुड रहा है
और इसका पंख 
धीरे धीरे सिकुड़ रहा है 
सच तो यह है कि
इस तरह वह
अपने जमीन से जुड़ रहा है

Thursday, May 2, 2019

वैयाकरण’ की साजिश


तुमने कहा --
रूको, मत जाओ
मैनें समझा --
रूको मत, जाओ
और मैं
चुपचाप चला आया था -- उस दिन
बिना किसी शोर
बिना किसी तूफान
कितना भयानक
ज़लज़ला आया था -- उस दिन
काश !
तुमने देखा होता
चट्टान का खिसकना
काश !
तुमने भी देखा होता
वह मंजर
जब एक मकान
ढहा था अधबना
और
उड़ने को आतुर एक कबूतर
दब गया था
शायद यह --
‘वैयाकरण’ की साजिश थी

Sunday, April 28, 2019

सोच में बम ...

हालात पर
नज़र रखने का वायदा था
समुंदर की सतह पर
इस देश को रखकर
हम नज़र रक्खे हैं कि नहीं?
कीमतें कम करने पर
सवाल आखिर क्यूँ?
डालर की तुलना में
रूपये का कीमत
हम कम रक्खे हैं कि नहीं?
किये वायदे से हम
मुकर तो नहीं रहे हैं
उन्हीं वायदों को फिर से
घोषणापत्रों में
हम रक्खे हैं कि नहीं?
स्वयम्भू हैं हम
हमसे तुम डरना
और ज्यादा सवाल मत करना
वरना क्या पता हम
रात आठ बजे टीवी पर आकर
कह दें ठहाका लगाकर
ये जो तुम्हारे बगल में
तुम्हारी पत्नी बैठी है
आज रात बारह बजे के बाद ........
तुम्हीं बताओ
तुम्हारी सोच में
हम बम रक्खे हैं कि नहीं?
तुम्हें बेशक रूला दिया
पर
अपनी आँखों को भी
हम नम रक्खें हैं कि नहीं?
समुंदर की सतह पर
इस देश को रखकर
हम नज़र रक्खे हैं कि नहीं?

Thursday, April 25, 2019

रजामंदी का दौर -- क्षणिकाएं

यूं तो तुमने मुझे
जीवन जीने का 
नज़रिया दिया
पर अफ़सोस 
कि तुमने 
जीवन जीने का
न ज़रिया दिया 
×××
लोग समझ रहे हैं कि
चल रहा है 
मंदी का दौर 
सच तो यह है कि
चल रहा है 
रजामंदी का दौर 

Monday, April 22, 2019

गालियों की वापसी ....

पहचान कर
बयान देकर वापस लेने के ट्रेंड को
माँ-बहन की अनगिनत गालियाँ
दे डाली मैंने अपने फ्रेंड को
सोचा था मैं उसको
सरप्राईज दूंगा
बाद में अपनी गालियाँ
वापस ले लूंगा,
गालियाँ सुनकर
उसका ब्लडप्रेशर बढ़ गया
पारा भी
सातवें आसमान पर चढ़ गया
आव देखा न ताव
छोड़ दिया उसने अपना
अब तक अर्जित नेह-भाव
गाल पर एक झन्नाटा दिया और
धुन दिया मुझे बे-भाव.
मैं हकबकाया
बदहवास सा उसे बताया
मैं तो गालियाँ वापस लेने वाला था

देखकर मेरा चेहरा मुरझाया
वह मुझपर तरस खाया
और फिर समझाया
तुम्हारी सोच में खामी है
ध्वनि ऊर्जा है, यह नष्ट नहीं होती
यह तो वन-वे अनुगामी है
बयान, कथन, गाली-वाली
इनकी कोई वापसी नहीं है
ये नहीं हैं महज़ जुगाली
इसलिए
जब भी मुँह खोलो
सोच समझ कर बोलो
जी हाँ, सोच समझ कर बोलो  

cartoon pic : साभार गूगल